दिसंबर माह में सब्जियों की बुवाई एक बेहतरीन मौका है किसानों के लिए। सर्दी का मौसम आते ही फसलें तेजी से बढ़ती हैं और बाजार में इनकी मांग बढ़ जाती है। इससे किसान अच्छे दाम पा सकते हैं।
सरकार भी किसानों को सब्सिडी और योजनाओं के जरिए मदद करती है। दिसंबर में चुनी हुई सब्जियां जैसे मेथी, पालक, गोभी, टमाटर और गाजर की बुवाई से लाभ कमाया जा सकता है। ये सब्जियां कम लागत में ज्यादा पैदावार देती हैं।
इस लेख में हम इन सब्जियों की बुवाई के तरीके, जरूरी टिप्स और सरकारी सहायता के बारे में विस्तार से जानेंगे। इससे आपकी फसल लहलहाएगी और जेब भी भरेगी।
December Farming Tips
दिसंबर का महीना उत्तर भारत के मैदानी इलाकों के लिए आदर्श है। ठंडी हवा और कम तापमान इन सब्जियों के लिए परफेक्ट रहता है। तेज धूप न होने से बीज जल्दी अंकुरित होते हैं।
बाजार में सर्दी की सब्जियों की कीमतें 20 से 50 रुपये किलो तक पहुंच जाती हैं। मेथी और पालक जैसी हरी सब्जियां तो 40-60 रुपये किलो तक बिकती हैं। इससे किसान एक मौसम में लाखों कमा सकते हैं।
सरकार की प्रधानमंत्री किसान संपदा योजना के तहत इन सब्जियों की बुवाई पर सब्सिडी मिलती है। बीज, खाद और ड्रिप इरिगेशन पर 50 प्रतिशत तक सहायता प्रदान की जाती है।
मेथी की बुवाई कैसे करें
मेथी दिसंबर की सबसे फायदेमंद सब्जी है। यह 25-30 दिनों में तैयार हो जाती है। एक हेक्टेयर में 8-10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है।
जमीन को अच्छी तरह जोतें और सड़ी गोबर की खाद 10 टन प्रति हेक्टेयर डालें। बीज को 2-3 किलो प्रति एकड़ की दर से लकीरों पर बोएं। लकीरें 20 सेंटीमीटर चौड़ी रखें।
पानी की पहली सिंचाई बुवाई के 4-5 दिन बाद दें। फिर हर 7-10 दिन में हल्की सिंचाई करें। खरपतवार हटाने के लिए दो जुताई करें। इससे पैदावार 100-120 क्विंटल प्रति हेक्टेयर मिलेगी।
राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत मेथी के बीज पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है। किसान पंजीकरण कराकर मुफ्त बीज किट ले सकते हैं। राज्य कृषि विभाग से संपर्क करें।
पालक की खेती के टिप्स
पालक दिसंबर में तेजी से बढ़ती है। यह 30-35 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। प्रति हेक्टेयर 5-6 किलो बीज पर्याप्त है।
मिट्टी को भुरभुरी बनाएं और 5 टन गोबर खाद मिलाएं। बीज को 15-20 सेंटीमीटर की लकीरों पर बुआई करें। बीज को रात भर भिगोकर बोएं तो बेहतर अंकुरण होता है।
सिंचाई हल्की और नियमित रखें। पत्तियां न झुलसें इसके लिए सुबह या शाम पानी दें। पहली कटाई 25 दिन बाद लें तो दूसरी कटाई भी हो सकती है। पैदावार 150-200 क्विंटल तक पहुंच सकती है।
सरकार की सब्जी उत्पादन योजना से पालक पर ड्रिप सिस्टम पर 40 प्रतिशत अनुदान मिलता है। इससे पानी की बचत होती है और लागत कम आती है।
गोभी उगाने का सही तरीका
गोभी दिसंबर में बोने से फरवरी तक तैयार हो जाती है। नर्सरी में बीज बोकर 25-30 दिन बाद रोपाई करें। प्रति हेक्टेयर 150-200 ग्राम बीज लगता है।
नर्सरी बेड को 1 मीटर चौड़ा बनाएं। बीज बोने के बाद हल्का मिट्टी का ढेर लगाएं। 10-12 दिन में अंकुर आ जाएंगे। मजबूत पौधे चुनकर खेत में 45×30 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाएं।
खाद में यूरिया 100 किलो, सुपर फॉस्फेट 200 किलो और पोटाश 50 किलो प्रति हेक्टेयर डालें। सिंचाई हर 7 दिन में करें। पैदावार 300-400 क्विंटल हो सकती है।
कृषि विज्ञान केंद्र से गोभी के हाइब्रिड बीज मुफ्त या कम दाम पर मिलते हैं। रोग नियंत्रण के लिए जैविक दवाओं पर सब्सिडी है।
टमाटर और गाजर की बुवाई
टमाटर के लिए दिसंबर आदर्श है। नर्सरी में बीज बोएं और 25 दिन बाद रोपाई करें। प्रति हेक्टेयर 80-100 ग्राम बीज चाहिए। पौधे 60×45 सेंटीमीटर दूर रखें।
गोबर खाद 15 टन और रासायनिक उर्वरक संतुलित मात्रा में डालें। स्टेकिंग करें ताकि फल जमीन पर न छुएं। पैदावार 400-500 क्विंटल तक।
गाजर के बीज 6-8 किलो प्रति हेक्टेयर बोएं। लकीरें 20 सेंटीमीटर चौड़ी बनाएं। रेतीली दोमट मिट्टी सबसे अच्छी। 90-100 दिन में कटाई करें। पैदावार 200-300 क्विंटल।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से इन फसलों का बीमा करवाएं। नुकसान पर भरपाई मिलती है। सब्सिडी वाले बीज राज्य कृषि विभाग से लें।
बुवाई के समय बरतें ये सावधानियां
मिट्टी का पीएच 6.5 से 7.5 रखें। ज्यादा नमी से फफूंद रोग हो सकता है इसलिए जल निकासी अच्छी हो। जैविक खाद का ज्यादा इस्तेमाल करें।
कीटों से बचाव के लिए नीम तेल का छिड़काव करें। हाइब्रिड किस्में चुनें जो ज्यादा पैदावार दें। मौसम की जानकारी रखें।
किसान क्रेडिट कार्ड से सस्ता ऋण लें। इससे बुवाई आसान हो जाती है।
इस तरह दिसंबर में इन सब्जियों की बुवाई से किसान समृद्ध हो सकते हैं। सरकारी योजनाओं का लाभ उठाएं। अच्छी फसल के लिए मेहनत करें। सफलता निश्चित है।


